एक बूढ़ा कारपेंटर अपने काम के लिए काफी जाना जाता था। उसके बनाये लकड़ी के घर दूर -दूर तक प्रसिद्द थे। लेकिन अब बूढा हो जाने के कारण उसने सोचा कि बाकी की ज़िन्दगी आराम से गुजारी जाए और वह अगले दिन सुबह-सुबह अपने मालिक के पास पहुंचा। वह बोला , "ठेकेदार साहब , मैंने बरसों आपकी सेवा की है पर अब मैं बाकी का समय आराम से पूजा-पाठ में बिताना चाहता हूँ , कृपया मुझे काम छोड़ने की अनुमति दें ।" ठेकेदार कारपेंटर को बहुत मानता था , इसलिए उसे ये सुनकर थोडा दुःख हुआ पर वो कारपेंटर को निराश नहीं करना चाहता था। उसने कहा , ” आप यहाँ के सबसे अनुभवी व्यक्ति हैं , आपकी कमी यहाँ कोई नहीं पूरी कर पायेगा लेकिन मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि जाने से पहले एक आखिरी काम करते जाइये .” “जी , क्या काम करना है ?” कारपेंटर ने पूछा “मैं चाहता हूँ कि आप जाते -जाते हमारे लिए एक और लकड़ी का घर तैयार कर दीजिये .” , ठेकेदार घर बनाने के लिए ज़रूरी पैसे देते हुए बोला। कारपेंटर इस काम के लिए तैयार हो गया . उसने अगले दिन से ही घर बनाना शुरू कर दिया , पर ये जान कर कि ये उसका आखिरी काम है और इसके बाद उसे और कुछ नहीं करन
एक गावँ के बहार एक पीपल का पेड़ था। गांव में थोड़ी दूरी पर एक पेड़ के पास एक कुआँ था। वह कुआँ बहुत पुराना और गहरा था। कुआँ मे जहाँ पानी था वहाँ रौशनी बहुत कम थी। उस कुएं के गहरे पानी मे मीकू और चीकू नाम के दो मेढक रहते थे। वे पानी मे टांग फैलाकर हमेशा तैरते रहते थे , तैरना उनको बहुत अच्छा लगता था। बैठेने की कोई जगह भी तो नहीं थी, जहाँ पर वे बैठ कर कुछ कर सके । पानी की सतह से ऊपर कुआँ की दीवार पर एक गढ्ढा था, उसमे चुनमुन नाम की एक चिड़िया रहती थी। वहाँ पर उसने अपना एक घोसला बना लिया था। रोज सुबह वह दान चुगने बहार चली जाती थी , वहाँ दूसरे पंछियो से बात करती और शाम को अपने घोसले मे वापस आ जाती थी। चुनमुन अक्सर मीकू और चीकू का हाल पूछ लिया करती थी। मीकू और चीकू बहुत ही घमंडी थे , दोनों मे हमेसा छलांग लगाने की होड़ लगी रहती थी। एक बार चुनमुन दूर लहलहाते फसलो की प्रसंसा करने लगा , उसने उन दोनों को बताया की बहार की दुनिया बहुत ही बड़ी है। यह सुनकर वो दोनों जोर – जोर से हँसने लगे। और दोनों ने एक लंबी छलांग लगाकर कहा इससे भी बड़ी है, तो चुनमुन ने कहा हां ,इससे भी बड़ी है। उसकी बात सुनकर फ